वन विभाग में पौधे खरीदी पर नियमों के आड़ में चल रहा बड़ा खेल...? विभाग के अधिकारी सब जानकर भी मौन...?

छत्तीसगढ़ वन विभाग के कांकेर सर्किल के केशकाल, कांकेर, भानुप्रतापपुर और नारायणपुर डिविजन में और रायपुर सर्किल के गरियाबंद डिवीजन में क्लोनल यूकेलिप्टस नीलगिरी पौधे की लगभग 22.50 लाख पौधे की निविदा में तीन ही फर्म का आपस में कार्टेल बनाकर सिंडिकेट बिडिंग की जा रही है जो कि आम जनता को साफ दिखाई पड़ रहा है. परन्तु वन विभाग के अधिकारी इस पर दोषियों के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही किए बिना, तत्काल उन्हें सबसे ऊंची दर पर वर्क ऑर्डर देकर सप्लाई खत्म करना चाहते है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा नियमों के आड़ में प्रतिस्पर्धा समाप्त कर जितनी अधिकतम राशि का पौधे खरीद हेतु बजट का प्रावधान है उस राशि से कुछ पैसे कम में निविदा देकर अप्रत्यक्ष लाभ लेने की पूरी योजना बनाई गई हो.

 प्रारंभ में कांकेर सर्किल के ही कोण्डागांव डिविजन में इनमें से ही एक फर्म द्वारा निविदा में प्रतिस्पर्धा कर रु. 4.96 प्रति पौधे की दर से निविदा ली गई है, पर उसी फर्म द्वारा अब कार्टेल बनाकर रु. 8.90 की दर निविदा में प्रस्तुत की जा रही है, क्योंकि विभाग द्वारा भी नियमों के आड़ में प्रतिस्पर्धा पूरी तरह से समाप्त कर दूसरी नई फर्मों को निविदा में भाग लेने से रोक दिया है, और इनमें से कुछ डिविजन में जहां इन तीन कार्टेल फर्मों के अतिरिक्त अन्य फर्म प्रतिस्पर्धा कर इसी पौधे की दर 5 रूपये के आस पास दे रहीं थी. उन डिविजन की निविदाएं GeM portal पर टेंडर की वित्तीय रेट खुल जाने के बाद विभाग द्वारा कम रेट देखकर निविदा निरस्त कर दी गई, पूर्व भानुप्रतापपुर डिविजन में 6 लाख पौधे की खरीद के लिए एक अन्य फर्म की रेट इन कार्टेल कर रही फर्मों से काफ़ी कम होने के बाद उस फर्म को वित्तीय बीड ओपन होने के बाद नियमों के आड़ में डिसक्वालिफाई कर दिया गया, जबकि न्यूनतम रेट देखकर किसी फर्म को इस स्टेज पर अयोग्य घोषित करना उचित नहीं है यह पूरी तरह से विभाग की GeM portal के माध्यम से मनमानी करना दर्शाता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा अन्य डिविजन के प्रतिस्पर्धा में पास हुए न्यूनतम रेट के आधार पर , सफल निविदाकर्ता के साथ इस न्यूनतम रेट के आस पास दर पर समर्थन लेकर खरीदी की जानी चाहिए जैसे कि सूरजपुर डिविजन में जहां लंबी दूरी होने के बाद भी रु. 4.19 प्रति पौधे की दर से यही कार्टेल फर्म में से एक सप्लायर फर्म सप्लाई दे रही है तो कांकेर सर्किल इससे 500 कि.मी. पहले पड़ने के बावजूद भी रु. 8.00 प्रति पौधे की दर में निविदा क्यों देना चाहती है..? विभाग की अनदेखी से वन विभाग एवं छत्तीसगढ़ शासन को करोड़ों रुपए की हानि हो रही है.

कहा यह जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सुशासन में जहां शासन सुव्यवस्थित एवं भ्रष्टाचार मुक्त होने का पूरी मुहिम पर लगा है वहीं विभाग द्वारा इस कार्टेल बिडिंग पर तत्काल जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए.


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